Saturday, 19 March 2016
ग्रीन कंप्यूयटिंग – Green Computing in Hindi
1992 में, अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने एनर्जी स्टार, एक स्वैच्छिक लेबलिंग कार्यक्रम जो मॉनीटरों, जलवायु नियंत्रक उपकरणों तथा अन्य प्रौद्योगिकियों में ऊर्जा की बचत को बढ़ावा देने और पहचानने के लिए डिजाइन किया गया है, की शुरुआत की. इसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉनिक्स उपभोक्ताओं ने व्यापक रूप से स्लीप मोड (ऊर्जा की खपत को कम करने वाली प्रणाली) को अपनाया. एनर्जी स्टार प्रोग्राम के तुरंत बाद ही शायद “ग्रीन कंप्यूटिंग” शब्द गढ़ा गया था, 1992 के बाद से ही ऐसे कई यूज़नेट (USENET) उपलब्ध हैं जो शब्द का प्रयोग इस सन्दर्भ में करते हैं.
ग्रीन कंप्यू टिंग में बिजली की बचत करने वाले सीपीयू (सेंट्रल पोसेसिंग यूनिट), सर्वर्स और अन्यज उपकारणों का विकास किया जाता है। वातावरण में जितनी मात्रा में बिजली उत्ससर्जित होती है उसके साथ कार्बन डाई ऑक्साअइड भी वातावरण में फैलती है जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। इस तकनीक में ऐसे उत्पािदों का उपयोग किया जाता है जिन्हें फिर से बनाया जा सके या रिसायकल किया जा सके। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों के उपयोग को कम किया जाता है और इलेक्ट्रॉ निक कचरे का उचित तरीके से निपटारा किया जाता है।
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