Saturday, 19 March 2016
चांद पर चीन ने छोड़े कामयाबी के निशान – China’s success marks left on the moon in Hindi
चीन के पहले मून मिशन से जुड़ा रोवर रविवार को लैंडर से सफलतापूर्वक अलग हो गया और इस तरह चंद्रमा की सतह पर गहरा निशान छोड़ दिया। सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने खबर दी है कि चीन का पहला मून रोवर ‘यूतू’ या ‘जेड रैबिट’ रविवार सुबह लैंडर से अलग हो गया। छह पहियों वाला रोवर स्थानीय समयानुसार 4:35 बजे चंद्रमा की सतह को छू गया। इस पूरी प्रक्रिया को लैंडर पर लगे कैमरे के जरिए रिकॉर्ड किया गया। अलग होने के बाद रोवर और लैंडर पर लगे कैमरों ने एक दूसरे की तस्वीरें लीं और साइंटिफिक खोज शुरू कर दी।
इस रोवर को करीब दो सप्ताह पहले लॉन्ग मार्च-3बी कैरियर रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था। इस लैंडिंग के साथ ही चीन अमेरिका और पूर्व सोवियत रूस के बाद दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन गया है जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। सॉफ्ट लैंडिंग का मतलब होता है जिस लैंडिंग में स्पेसक्राफ्ट और इसके उपकरणों को कोई नुकसान नहीं होता और वे सतह पर सही सलामत उतारे जाते हैं। इस प्रोब की सेफ लैंडिंग के लिए इसके चार पैरों में शॉक एब्जॉर्बर लगाए गए थे। इस तरह चांग’ई-3 जिसमें कि एक लैंडर और यूतू नाम का मून रोवर शामिल है, पैरों वाला पहला चाइनीज स्पेसक्राफ्ट बन गया। पेइचिंग एयरोस्पेस कंट्रोल सेंटर के मुताबिक, मून मिशन ने चांद के बे ऑफ रेनबोज पर स्थानीय समय के मुताबिक, 9 बजकर 11 मिनट पर लैंड किया था। चांग’ई-3 सही लैंडिंग पॉइंट पर उतरने और फ्री फॉल के लिए पूरी तरह ऑटो कंट्रोल पर भरोसा किया। रेंज और वेग की गिनती इसने खुद की थी।
इस प्रोब के लिए बनाए गए थ्रस्ट इंजन की डिजाइनिंग और निर्माण चीनी वैज्ञानिकों ने ही किया था। यह इंजन अलग-अलग फोर्स पावर को महसूस कर लेता है। अब यूतू का काम होगा कि चंद्रमा के भूवैज्ञानिक ढांचे का सर्वे करे, सतह पर मौजूद पदार्थों का सर्वे करे और वहां प्राकृतिक संसाधनों की मौजूदगी के बारे में पता लगाए। यह लैंडर मून पर एक साल तक काम करेगा जबकि रोवर तीन महीने तक ही रहेगा।
गौरतलब है कि चांग’ई-3 चीन के मून मिशन का दूसरा चरण है। इसमें ऑरबिटिंग, लैंडिंग और धरती पर वापसी शामिल है। इससे पहले चीन के चांग’ई-1 2007 में और चांग’ई-2 मिशन 2010 में कामयाब रहे थे। चांग’ई-3 ने पिछले दोनों मिशनों को कामयाबी के मामले में काफी पीछे छोड़ दिया है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में चांग’ई-3 से पहले चांद के लिए 129 मिशन भेजे गए मगर इनमें से आधे ही कामयाब रहे थे। इनमें भी मानवरहित सॉफ्ट लैंडिंग करने में अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ को ही कामयाबी मिली थी।
पहला टेलीऑपरेशन स्पेस सेंटर : चीन ने रविवार को ही अपना पहला टेलीऑपरेशन अंतरिक्ष केंद्र खोला जहां से वह लूनर रोवर और लैंडर सुदूर अंतरिक्ष मिशन यानों की निगरानी कर सकेगा। इस केंद्र को पेइचिंग स्पेस कंट्रोल सेंटर ( बीएसीसी ) में बनाया गया है।
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